मेरी कलम से....✍️

मंगलवार, 11 सितंबर 2018

कुछ इस तरह चल पड़े हम ....जैसे दिशा हीन हवा चल पड़ी ना कोई मंज़िल ना कोई मकसद,झूमती सी निकल पड़ी।


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