सच है ये लेकिन लोग मानते नही , बस लोग देखा देखी ऐसा बोलते है की हम भी हां में हां मिलाएंगे तो हम भी जमाने के साथ चल रहे है ऐसा सोचा जायेगा ।
लेकिन अफसोस इन लोगो की सोच वही पिछड़ी रहती है।
कहते तो सीना तान के है ।
" हमारी छोरी छोरो से कम है के"
लेकिन जब मानने की बात आती है तो बेटा ही पहले आता है । घर का वारिश हो ,तो बेटा ही पैदा करना बेटी नही चाहिए। आगे पढ़ाई करनी है तो बेटा करेगा बेटियां तो ससुराल जाएंगी वो क्या करेंगी पढ़ के।
अब क्या करे बताओ ऐसी दोहरी मानसिकता के लोगो का ,शर्म आनी चाहिए इन लोगो को मुंह से कुछ और और दिमाग में कुछ और रखते है।
बिना नारी संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती ,पुरुष के पास जो शक्ति है वो भी नारी का ही रूप है।
नारी से ही सृष्टि है ,नारी से ही स्वास ,लेकिन सोच बदलनी होगी तभी कुछ चमत्कार होगा ।
"या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमो नमः।।